यदि समाज में सुख शांति और बच्चों की सुरक्षा चाहिए तो अनैतिक और अवैध धन्धों को जड़ से समाप्त करना होगा l ऐसे अनैतिक कार्य व्यक्ति अकेला नहीं करता l इनके कर्ता- धर्ता इन कामों के लिए अनेक गुंडे पालते हैं जो इसी समाज में रहते हैं और कभी अपने ' आका ' के लिए और कभी अपने लिए जघन्य अपराधों को अंजाम देते हैं l ऐसे लोग अपने स्वार्थ के लिए एक दूसरे से एक श्रंखला में बंधे होते हैं इसलिए सजा से बच जाते हैं l
हर परिवार को जागना होगा क्योंकि जो भी अपराधी हैं वे किसी न किसी परिवार के सदस्य हैं l जब कभी समाज में दंगे - फसाद होते हैं तो कैसे टिड्डी दल की भांति दंगाई आते हैं , उनके हाथों में हथियार भी होते हैं l यह सब समझने की बातें हैं कि कहीं कोई जादू की छड़ी नहीं थी कि तुरंत हथियार समेत सब आ गए , समाज में ही अनेक लोग इन कामों में , व्यवस्था में लगे होंगे l
केवल दोष देने से समस्या नहीं सुलझती , एक बड़े परिवर्तन की आवश्यकता है l
हर परिवार को जागना होगा क्योंकि जो भी अपराधी हैं वे किसी न किसी परिवार के सदस्य हैं l जब कभी समाज में दंगे - फसाद होते हैं तो कैसे टिड्डी दल की भांति दंगाई आते हैं , उनके हाथों में हथियार भी होते हैं l यह सब समझने की बातें हैं कि कहीं कोई जादू की छड़ी नहीं थी कि तुरंत हथियार समेत सब आ गए , समाज में ही अनेक लोग इन कामों में , व्यवस्था में लगे होंगे l
केवल दोष देने से समस्या नहीं सुलझती , एक बड़े परिवर्तन की आवश्यकता है l
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