Thursday 19 July 2018

आज की सबसे बड़ी जरुरत है --- जिनके पास ज्ञान और शक्ति है उनकी चेतना को जगाया जाये

  बहुत  लम्बे  समय  से   यह  देखा  जा  रहा  है  कि  लोग   समाज  को   सुधारने  के  लिए   सामान्य  जनता  को  जगाने  का  प्रयास  करते  हैं  ,  जो   समर्थ  हैं  और  अपने  ज्ञान  और  शक्ति  का  दुरूपयोग  कर  रहे  हैं  ,  उनकी  सुप्त  चेतना  को  जगाने  का  प्रयास  नहीं  किया   जाता   l    समर्थ  लोगों  को  इस  बात  का  एहसास  होना  चाहिए  कि  समाज  को  गलत  दिशा  देकर ,  लोगों  की  मज़बूरी  का ,  उनकी  सरलता  का  फायदा  उठाकर    वे  अपना  जो  स्वार्थ सिद्ध  करते  हैं   उसे  प्रकृति  क्षमा  नहीं  करती  l  उसका  परिणाम  उनके  जीवन  में  भीषण  तनाव ,  बीमारी ,  असहनीय  दुःख    आदि  घटनाओं  के  रूप  में  सामने  आता  है  l 
      जैसे    हम  देखते  हैं  कि  युगों  से  धर्म  के  ठेकेदार   सामान्य  जनता  को  गृह , नक्षत्र , दशा   आदि  का  भय  दिखाकर   लूटते  हैं  l  उनका  यह  कार्य  सही  है  या  गलत  इसका  निर्णय  प्रकृति  के  ,  ईश्वर  के  हाथ  में  है   l  सामान्य - जन  जिसके  सामने  परिवार  का  पोषण , गरीबी , बेरोजगारी  की    समस्या  है  जो  ध्यान ,  मन्त्र जप  आदि  साधना  नहीं  कर  सकता  , वह  भक्ति भाव  से   इस  प्रकार  के  कर्मकांड  कर  के  ईश्वर  को  प्रसन्न  करने  का  प्रयत्न  करता  है  l  उसके  ह्रदय  में  श्रद्धा भाव  होता  है ,  वह  इस  बात  को   नहीं  सोचता   कि  ग्रह  दशाओं  में  सुधार  का  झांसा  देकर  उसे   लूटा   जा   रहा  है   l
   समाज  में  एक  वर्ग  ऐसा  है  जो  संपन्न  है   उनके  लिए  कथा - आयोजन , जागरण ,  विभिन्न  धार्मिक  कर्मकांड   ईश्वर  को  याद  करने  के  माध्यम  से   समाज  में  व्यवहार  बनाना  और  अपने  वैभव  का  प्रदर्शन  है   l 
  समाज  का  एक  वर्ग  ऐसा  भी  है    जो   कथा  आदि  बड़े  स्तर  के   धार्मिक  कार्यक्रमों  से  खुश  होते  हैं  l  उन्हें  इस  बात  से  मतलब  नहीं  होता   कि  कथा - प्रवचन  में  क्या  कहा  गया  l  उनकी  ख़ुशी  इसमें  है  कि  उनके  ठेले  से  कितने  गुब्बारे  बिक  गए , किसी  की दुकान  की  कितनी  मिठाई ,  फूल माला  , पूजा  के  चित्र  आदि   बिके ,  झूले  वाले  को  कितनी  आमदनी  हो  गई  l  इस  वर्ग  की  ख़ुशी  इसमें  है  कि   इन  उत्सवों  में  उनके  परिवार  के  लिए  कितने  दिन  का  भोजन - पानी  का  प्रबंध  हो  गया   l 
समाज  का  एक  वर्ग  ऐसा  भी  है  जो  कहने  को  पढ़ा - लिखा  है  किन्तु  उसके  पास  सार्थक ,  सकारात्मक  शिक्षा  नहीं  है ,  बेरोजगार  है  l  ऐसे  में  वे  लोग  भक्तों  को  दूर - दराज  के  क्षेत्रों  से  जुटाना , उन्हें   दान - पुण्य  करने  को  प्रेरित  करना ,  आदि  कार्यों  में  कुछ  आमदनी  हो  जाती  है  l 
  मनुष्य  एक  सामाजिक  प्राणी  है  l  सामाजिक  , धार्मिक  कार्य  सम्पूर्ण  समाज  को  बहुत  गहरे  प्रभावित  करते  हैं   l  

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