आज दुनिया मे सब विश्वशांति की बात करते हैं । हम सबसे मिलकर ही तो समाज, राष्ट्र और विश्व बना है, जब तक हम सबके मन मे शान्ति नही होगी, विश्व में कैसे शान्ति होगी । छोटी-छोटी बातों पर हमें क्रोध आ जाता है, छोटी सी बात बड़ी लड़ाई का रूप ले लेती है ।
यह बात स्पष्ट है कि लड़ाई में दो पक्ष होते हैं चाहे वह पारिवारिक झगड़ा हों या घर से बाहर किसी से विवाद हो । हम दूसरे पक्ष को नहीं समझा सकते । उचित यही होगा कि हम शांत रहें , एक पक्ष अकेला कब तक बोलेगा , कब तक लड़ेगा |
हम सब ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे हमे सद्बुद्धि दें , हम इस सत्य को समझें कि लड़ाई में हमारी ऊर्जा और समय की बरबादी है , इससे लाभ किसी को भी नहीं है ।
यदि किसी ने हमें अपशब्द कहे , भला -बुरा कहा तो इससे हमारा क्या नुकसान हुआ ? उस व्यक्ति ने अनुचित बोलकर अपना अंतर , अपने आपको हमारे सामने प्रकट कर दिया | उचित यही है कि हम शांत रहें , कुछ भी न कहें ,उसके क्रोध को न भड़काएं ।
यहां शांत रहने का अर्थ डरपोक होना या कायरता नहीं है , हमारे भीतर समझ विकसित हो चुकी है कि हम व्यर्थ के झगड़ों में अपना समय व ऊर्जा बर्बाद न कर उसे सकारात्मक कार्य मे लगाना चाहते हैं । हम प्रयास करें कि हमारे मन में भी क्रोध न रहे , स्वयं को सत्कर्म व सकरात्मक कार्यों में व्यस्त रखें ।
यह बात स्पष्ट है कि लड़ाई में दो पक्ष होते हैं चाहे वह पारिवारिक झगड़ा हों या घर से बाहर किसी से विवाद हो । हम दूसरे पक्ष को नहीं समझा सकते । उचित यही होगा कि हम शांत रहें , एक पक्ष अकेला कब तक बोलेगा , कब तक लड़ेगा |
हम सब ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे हमे सद्बुद्धि दें , हम इस सत्य को समझें कि लड़ाई में हमारी ऊर्जा और समय की बरबादी है , इससे लाभ किसी को भी नहीं है ।
यदि किसी ने हमें अपशब्द कहे , भला -बुरा कहा तो इससे हमारा क्या नुकसान हुआ ? उस व्यक्ति ने अनुचित बोलकर अपना अंतर , अपने आपको हमारे सामने प्रकट कर दिया | उचित यही है कि हम शांत रहें , कुछ भी न कहें ,उसके क्रोध को न भड़काएं ।
यहां शांत रहने का अर्थ डरपोक होना या कायरता नहीं है , हमारे भीतर समझ विकसित हो चुकी है कि हम व्यर्थ के झगड़ों में अपना समय व ऊर्जा बर्बाद न कर उसे सकारात्मक कार्य मे लगाना चाहते हैं । हम प्रयास करें कि हमारे मन में भी क्रोध न रहे , स्वयं को सत्कर्म व सकरात्मक कार्यों में व्यस्त रखें ।
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