आज मनुष्य को स्वयं से प्यार नहीं है , उसे प्यार है धन से , सुख -साधनों से । जीवन मे जिसे प्राथमिकता दो वही मिल जाती है । हमें इस सत्य को समझना होगा कि जब शरीर स्वस्थ होगा , मन शांत होगा तभी उस धन का , साधन -सुविधाओं का आनंद है । इसलिये हमें महत्व स्वयं के जीवन को देना होगा । जब प्रत्येक व्यक्ति स्वयं से प्यार करेगा तो वह कोई भी ऐसा काम नहीं करेगा जिससे उसके स्वास्थ्य को नुकसान हों । परस्पर ईर्ष्या -द्धेष , लड़ाई -झगड़ा से किसी का भी भला नहीं हुआ । हम अपना अहंकार छोड़कर अपने मन को निर्मल बनाने का प्रयास करे । जब हम अपने क्रोध पर , अपने लालच , अपनी कामनाओं पर नियंत्रण कर लेंगे तो संसार के कोलाहल के बीच भी शांत और स्वस्थ रहेंगे ।
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