आज संसार में जितनी भी समस्याएँ हैं उन सब के मूल में एक ही कारण है ----- सद्बुद्धि की कमी । आज मनुष्य स्वयं अपनी मृत्यु का सामान जुटा रहा है । मन की शांति सब चाहते हैं लेकिन केवल चाहने से शांति नहीं मिलती यह तो ईश्वर की कृपा से मिलती है । ईश्वर की कृपा से ही हमारे भीतर विवेक जाग्रत होता हैं और विवेक जाग्रत होने पर ही हम लोभ -लालच , कामना -वासना के जाल में नहीं फंसते | ये क्षणिक सुख मन को ललचाते रह्ते हैं लेकिन यदि ईश्वरीय कृपा से हमारा विवेक जाग्रत है , हम अपना भला -बुरा समझते हैं तो कोई भी आकर्षण हमे विचलित नही कर सकता । इसलिए जरुरी हैं कि नेक रास्ते पर चलकर निः स्वार्थ भाव से सेवा परोपकार के कार्य कर हम ईश्वरीय कृपा के पात्र बने ताकि अनमोल जीवन को शांति से जी सकें ।
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