हमारे मन में अच्छा बनने की चाहत होनी चाहिए, कहते हैं सच्चाई की राह बहुत कठिन है लेकिन यदि हम संकल्प ले लें तो यह राह आसान हो जाती है । मन बड़ा चंचल होता है , तनिक से लालच में ही डाँवाडोल हो जाता है । इसलिए अनेकों सद्गुणों में से हम केवल एक सद्गुण अपनाकर श्रेष्ठता की राह पर पहला कदम बढ़ायें ------
अपने स्वाभाव , सुविधा , सरलता के अनुसार एक सद्गुण को अपनी दिनचर्या में सम्मिलित करें जैसे --- अब हमेशा सत्य बोलेंगे , परनिंदा नही करेंगे ,यदि कोई कर रहा है तो अनसुनी करेंगे , उसमे रूचि नहीं लेंगे , ईमानदारी , जहां और जैसी भी स्थिति में हैं अपना कर्तव्य पालन मन से करेंगे , आदि अनेक सद्गुण हैं फिर सभी धर्मों की नैतिक शिक्षाएं एक सी हैं , हम कोई सी भी एक शिक्षा को अपनाने का संकल्प लें और कितनी भी बाधाएं आयें विचलित न हों ।
एक गुण में ही इतनी शक्ति होती है कि धीरे -धीरे अन्य सद्गुण भी खिंचे चले आते हैं ।
नियमित सत्कर्म करने से मन को शक्ति मिलती है कि संकल्पों पर दृढ़ रहें , इसके साथ ईश्वर का सुमिरन और प्रार्थना करने से श्रेष्ठता की राह पर भी ईश्वर की कृपा से चल पाते हैं ।
अपने स्वाभाव , सुविधा , सरलता के अनुसार एक सद्गुण को अपनी दिनचर्या में सम्मिलित करें जैसे --- अब हमेशा सत्य बोलेंगे , परनिंदा नही करेंगे ,यदि कोई कर रहा है तो अनसुनी करेंगे , उसमे रूचि नहीं लेंगे , ईमानदारी , जहां और जैसी भी स्थिति में हैं अपना कर्तव्य पालन मन से करेंगे , आदि अनेक सद्गुण हैं फिर सभी धर्मों की नैतिक शिक्षाएं एक सी हैं , हम कोई सी भी एक शिक्षा को अपनाने का संकल्प लें और कितनी भी बाधाएं आयें विचलित न हों ।
एक गुण में ही इतनी शक्ति होती है कि धीरे -धीरे अन्य सद्गुण भी खिंचे चले आते हैं ।
नियमित सत्कर्म करने से मन को शक्ति मिलती है कि संकल्पों पर दृढ़ रहें , इसके साथ ईश्वर का सुमिरन और प्रार्थना करने से श्रेष्ठता की राह पर भी ईश्वर की कृपा से चल पाते हैं ।
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