स्वस्थ रहें और सुख-शांति से रहें-- यह प्रत्येक मनुष्य की हार्दिक इच्छा होती है लेकिन सद्बुद्धि और जागरूकता के अभाव में व्यक्ति स्वयं अपने लिए भयंकर और लाइलाज बीमारी खरीद लेता है ।
संसार में अपना पेट भरने के लिए शाकाहारी भोजन की कोंई कमी नहीं है लेकिन फिर भी लोग मांसाहार करते हैं । हमारे हाथ में सुई चुभ जाये, कहीं चोट लग जाये तो कितना कष्ट होता है फिर जानवरों को जिस बेरहमी से मारा जाता है उनकी चीत्कारें पूरे वायुमंडल में भर गईं हैं, उन्ही की आहें नकारात्मक उर्जा उत्पन्न करती हैं इसी कारण सुविधासंपन्न होते हुए भी लोग लोग अशांत व परेशान हैं, उनकी जिंदगी में चैन नहीं है ।
कभी एकांत में बैठकर विचार कीजिये --- आज के समय मे जब बूढ़े माँ-बाप को लोग बड़ी मुश्किल से अपने पास रखते हैं तो बूढ़े जानवरों को------ ? ये जानवर बेचारे सड़कों पर मारे-मारे फिरते हैं, जो भी पड़ा हुआ मिल गया वह खा लिया । ऐसे जानवरों का मांस खा-खा कर अब तो गिद्ध भी खत्म हो गये । जब संसार में इतना भ्रष्टाचार, इतना अन्याय बढ़ गया है, लखपति, करोड़पति होना चाहता है और करोड़पति, अरबपति होना चाहता है तो एक मांस बेचने वाले से हम सच्चाई और ईमानदारी की उम्मीद नहीं रख सकते ।
यदि मांसाहार छोड़ दें तो अधिकांश शारीरिक और मानसिक बीमारियाँ तो बिना दवा के ही ठीक हो जायें । हम सब ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे सबको सद्बुद्धि दें !
संसार में अपना पेट भरने के लिए शाकाहारी भोजन की कोंई कमी नहीं है लेकिन फिर भी लोग मांसाहार करते हैं । हमारे हाथ में सुई चुभ जाये, कहीं चोट लग जाये तो कितना कष्ट होता है फिर जानवरों को जिस बेरहमी से मारा जाता है उनकी चीत्कारें पूरे वायुमंडल में भर गईं हैं, उन्ही की आहें नकारात्मक उर्जा उत्पन्न करती हैं इसी कारण सुविधासंपन्न होते हुए भी लोग लोग अशांत व परेशान हैं, उनकी जिंदगी में चैन नहीं है ।
कभी एकांत में बैठकर विचार कीजिये --- आज के समय मे जब बूढ़े माँ-बाप को लोग बड़ी मुश्किल से अपने पास रखते हैं तो बूढ़े जानवरों को------ ? ये जानवर बेचारे सड़कों पर मारे-मारे फिरते हैं, जो भी पड़ा हुआ मिल गया वह खा लिया । ऐसे जानवरों का मांस खा-खा कर अब तो गिद्ध भी खत्म हो गये । जब संसार में इतना भ्रष्टाचार, इतना अन्याय बढ़ गया है, लखपति, करोड़पति होना चाहता है और करोड़पति, अरबपति होना चाहता है तो एक मांस बेचने वाले से हम सच्चाई और ईमानदारी की उम्मीद नहीं रख सकते ।
यदि मांसाहार छोड़ दें तो अधिकांश शारीरिक और मानसिक बीमारियाँ तो बिना दवा के ही ठीक हो जायें । हम सब ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे सबको सद्बुद्धि दें !
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