हम सब इनसान हैं, हम में बहुत कमियाँ हैं, बुराइयाँ हैं, हम समझते हैं कि अमुक काम गलत है फिर भी मन के आगे विवश हैं, गलतियाँ हो जाती हैं । जो कुछ अब तक बीत चुका उस पर अब पश्चाताप करने से कोई लाभ नहीं, अब हम अपने वर्तमान को अच्छा बनायें, सुन्दर बनाये ताकि हर आने वाले दिन को सुख-शांति से व्यतीत कर सकें------
अब एक बार में ही सब बुराइयों को छोड़ना या सारे सद्गुणों को एक साथ अपनाना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है , हम केवल एक बुराई छोड़ दें ---- वर्षों की आदतें आसानी से नहीं छूटती, हम ईश्वर से प्रार्थना करें कि ' हमें शक्ति दें ' और अब अपनी वह बुराई छोड़ दें , जिसे छोड़कर आप स्वस्थ रहेंगे, आपके चेहरे पर कोमलता आ जायेगी, ह्रदय में औरों के लिये संवेदना पैदा होगी, सबसे बढ़कर क्रोध पर नियंत्रण होगा, ----- ' आप मांसाहार छोड़ दें '
हम सबका जीवन अनमोल है---- जैसे- स्नान करने से शरीर तो साफ-स्वच्छ हो जाता है लेकिन मन का मैल, बुरी आदतें और बीमारियाँ नहाने-धोने से नहीं जातीं, इसी प्रकार
मांसाहार में--------' आप उसे कितना ही पानी से या विभिन्न तरीकों से साफ कर लें, उसमे निहित प्रवृति, उसकी बीमारी, जो मांसाहार आप ले रहें हैं, उसने अपने जीवन में जो कुछ खाया उसका भी उस में अंश रहता है '------
निष्काम कर्म अवश्य करें इससे अपने संकल्प को निभाने की शक्ति मिलती है ।
अब एक बार में ही सब बुराइयों को छोड़ना या सारे सद्गुणों को एक साथ अपनाना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है , हम केवल एक बुराई छोड़ दें ---- वर्षों की आदतें आसानी से नहीं छूटती, हम ईश्वर से प्रार्थना करें कि ' हमें शक्ति दें ' और अब अपनी वह बुराई छोड़ दें , जिसे छोड़कर आप स्वस्थ रहेंगे, आपके चेहरे पर कोमलता आ जायेगी, ह्रदय में औरों के लिये संवेदना पैदा होगी, सबसे बढ़कर क्रोध पर नियंत्रण होगा, ----- ' आप मांसाहार छोड़ दें '
हम सबका जीवन अनमोल है---- जैसे- स्नान करने से शरीर तो साफ-स्वच्छ हो जाता है लेकिन मन का मैल, बुरी आदतें और बीमारियाँ नहाने-धोने से नहीं जातीं, इसी प्रकार
मांसाहार में--------' आप उसे कितना ही पानी से या विभिन्न तरीकों से साफ कर लें, उसमे निहित प्रवृति, उसकी बीमारी, जो मांसाहार आप ले रहें हैं, उसने अपने जीवन में जो कुछ खाया उसका भी उस में अंश रहता है '------
निष्काम कर्म अवश्य करें इससे अपने संकल्प को निभाने की शक्ति मिलती है ।
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