आज व्यक्ति इतना अशान्त है, जितना विकास हुआ है उतनी ही बड़ी-बड़ी बीमारियाँ भी हैं, इसका कारण व्यक्ति स्वयं है । आज मनुष्य का विवेक सों गया है, जिन पांच तत्वों से मिलकर मनुष्य शरीर बना मनुष्य इन्ही पञ्च तत्वों को नष्ट करने पर उतारू है । जब पर्यावरण इतना प्रदूषित होगा तब अचछा स्वास्थ्य और मन की शान्ति कैसे प्रप्त होगी ?
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