Tuesday 3 March 2015

मन की अशांति का कारण व्यक्ति स्वयं है

आज  व्यक्ति  इतना  अशान्त  है,  जितना  विकास  हुआ  है  उतनी  ही  बड़ी-बड़ी  बीमारियाँ  भी  हैं,  इसका  कारण  व्यक्ति    स्वयं   है  ।  आज  मनुष्य   का  विवेक  सों   गया  है,  जिन  पांच  तत्वों  से  मिलकर  मनुष्य शरीर बना    मनुष्य    इन्ही  पञ्च  तत्वों को नष्ट  करने  पर  उतारू  है   ।  जब पर्यावरण    इतना  प्रदूषित  होगा  तब  अचछा  स्वास्थ्य  और  मन  की  शान्ति  कैसे  प्रप्त  होगी  ?

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