सच्चाई की राह बहुत कठिन है । कोई सच्चाई की राह पर चलकर सरलता से जीवन जीना चाहता है । किन्तु समाज के ऐसे लोग जो दबंग हैं, अत्याचारी हैं, सीधे-सरल लोगों को कमजोर समझकर तरह-तरह से परेशान कर उनकी मन की शांति को भंग करते हैं, उन्हें मानसिक रूप से पीड़ित करते हैं । इसलिए हमारे आचार्य, ऋषियों ने कहा है कि व्यक्ति में सरलता के साथ निर्भीकता होनी चाहिए |
अत्याचार, अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए । यह समस्या युगों से है कि दुष्ट प्रवृति के, अत्याचारी संख्या में बहुत हैं व संगठित हैं । इनसे मोर्चा लेने के लिए, उनकी इस अत्याचारी मनोवृति को समाप्त करने के लिए अच्छाई को, श्रेष्ठ प्रवृति के लोगों को संगठित होना पड़ेगा ।
निर्भीकता आती है--- ईश्वर विश्वास से । ईश्वर विश्वास का अर्थ है--- हम अपने तरीके से पूजा, प्रार्थना करने के साथ सत्कर्म भी करें । जब हम किसी का बुरा नही करेंगे तो हमारा भी बुरा नहीं होगा ।
संसार की प्रत्येक समस्या को सुलझाने के लिए विवेक की सद्बुद्धि की आवश्यकता होती है । हमें कब, कहाँ विनम्रता का व्यवहार करना है, और कब आवश्यकता पड़ने पर अपनी निर्भीकता को प्रकट करना है, इसके लिए हमारी बुद्धि संतुलित और विवेकपूर्ण होनी चाहिए--- यह विवेक जाग्रत होता है--- सत्कर्म के साथ गायत्री मंत्र का जप करने से । यही एक तरीका है जिससे हम इस संसार में सफलता के साथ शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं ।
अत्याचार, अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए । यह समस्या युगों से है कि दुष्ट प्रवृति के, अत्याचारी संख्या में बहुत हैं व संगठित हैं । इनसे मोर्चा लेने के लिए, उनकी इस अत्याचारी मनोवृति को समाप्त करने के लिए अच्छाई को, श्रेष्ठ प्रवृति के लोगों को संगठित होना पड़ेगा ।
निर्भीकता आती है--- ईश्वर विश्वास से । ईश्वर विश्वास का अर्थ है--- हम अपने तरीके से पूजा, प्रार्थना करने के साथ सत्कर्म भी करें । जब हम किसी का बुरा नही करेंगे तो हमारा भी बुरा नहीं होगा ।
संसार की प्रत्येक समस्या को सुलझाने के लिए विवेक की सद्बुद्धि की आवश्यकता होती है । हमें कब, कहाँ विनम्रता का व्यवहार करना है, और कब आवश्यकता पड़ने पर अपनी निर्भीकता को प्रकट करना है, इसके लिए हमारी बुद्धि संतुलित और विवेकपूर्ण होनी चाहिए--- यह विवेक जाग्रत होता है--- सत्कर्म के साथ गायत्री मंत्र का जप करने से । यही एक तरीका है जिससे हम इस संसार में सफलता के साथ शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं ।
No comments:
Post a Comment