हम सब एक मोतियों के हार में गुंथे हैं इसलिए समाज में होने वाली विभिन्न घटनाएं हमारी मन:स्थिति को भी प्रभावित करती हैं | जैसे किसी संत-महात्मा के प्रवचन सुनने से, पवित्र स्थान पर जाने से, श्रेष्ठ विचारों के व्यक्तियों से बात करने से, सत्साहित्य पढ़ने से हमारे मन को शांति मिलती है, जीवन की अनेक समस्यायों का हल मिल जाता है, श्रेष्ठता के निकट होने से हमारे मन में भी सकारात्मक विचार आते हैं |
इसके विपरीत जहाँ अनैतिक कार्य करने वाले, अपराधिक प्रवृति के व्यक्ति हैं तो उस स्थान के आस-पास का वातावरण अशांत होगा, ऐसे लोगों की संगत में नकारात्मक विचार ही आयेंगे |
जैसे सिगरेट के धुएं से प्रदूषण होता जो उस व्यक्ति के साथ-साथ आस-पास के लोगों को भी नुकसान पहुंचाता है उसी प्रकार जो लोग धन के लालच में अनैतिक व्यापार करते हैं, अमीर-और अमीर होने की चाहत में निरपराध जानवरों को मारकर उनके खुर, सींग, खाल आदि का व्यापार करते हैं, विभिन्न अपराधिक गतिविधियों में संलग्न है ऐसे लोग स्वयं अपने जीवन में तो अशांति और मुसीबतों को न्योता देते हैं, इसके साथ ही उनके शरीर से निकलने वाली तरंगे आस-पास के वातावरण को बोझिल, अशांत और नकारात्मक बन देती हैं |
इसलिए हमारे मन की शांति के लिए जरुरी है कि धन के बजाय सद्गुणों कों महत्व दिया जाये |
श्रेष्ठ विचार और सत्साहित्य की संगत में रहें |
इसके विपरीत जहाँ अनैतिक कार्य करने वाले, अपराधिक प्रवृति के व्यक्ति हैं तो उस स्थान के आस-पास का वातावरण अशांत होगा, ऐसे लोगों की संगत में नकारात्मक विचार ही आयेंगे |
जैसे सिगरेट के धुएं से प्रदूषण होता जो उस व्यक्ति के साथ-साथ आस-पास के लोगों को भी नुकसान पहुंचाता है उसी प्रकार जो लोग धन के लालच में अनैतिक व्यापार करते हैं, अमीर-और अमीर होने की चाहत में निरपराध जानवरों को मारकर उनके खुर, सींग, खाल आदि का व्यापार करते हैं, विभिन्न अपराधिक गतिविधियों में संलग्न है ऐसे लोग स्वयं अपने जीवन में तो अशांति और मुसीबतों को न्योता देते हैं, इसके साथ ही उनके शरीर से निकलने वाली तरंगे आस-पास के वातावरण को बोझिल, अशांत और नकारात्मक बन देती हैं |
इसलिए हमारे मन की शांति के लिए जरुरी है कि धन के बजाय सद्गुणों कों महत्व दिया जाये |
श्रेष्ठ विचार और सत्साहित्य की संगत में रहें |
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