आज धर्म के नाम पर बाह्य आडम्बर और कर्मकाण्ड अधिक किये जाते हैं । कर्मकाण्ड भी जरुरी है लेकिन एक निश्चित समय , 24 घंटे में से कुछ समय अपने - अपने धर्म के अनुसार कर्मकाण्ड करके शेष सारा समय भ्रष्ट तरीके से धन कमाना , झूठ बोलना , किसी के विरुद्ध षड्यंत्र रचना , किसी की खिल्ली करना , किसी अपराधिक कार्य में संलग्न रहना आदि अनैतिक कार्य करने से क्या आपके भगवान खुश हो जायेंगे ?
धर्म चाहे कोई भी हो , किसी भी धर्म में अनैतिक कार्यों को मान्यता नहीं दी गई है । आज संसार में अशांति इसी लिए है , लोग कर्मकांड करके , अपने धार्मिक पर्वों पर भक्ति भाव प्रदर्शित करके स्वयं को धार्मिक समझने लगते हैं लेकिन अपना आचरण नहीं सुधारते , अपनी ईर्ष्या, द्वेष , लालच , क्रोध , अहंकार जैसी दुष्प्रवृत्तियों को नियंत्रित नहीं करते इसलिए सबके धार्मिक होने के बावजूद भी संसार में इतना अपराध , हत्या , मार -काट है । गरीब किसी को लूटें तो एक बात समझ में आती है , अमीर, पढ़े - लिखे और धार्मिक कहे जाने वाले भ्रष्टाचार करके अपने ही देश की सम्पति को लूट रहे और गरीबों को लूटकर , उनका हक छीनकर अपनी तिजोरी भर रहे हैं ।
इसी कारण लोग तनाव व कुंठाग्रस्त हैं , अपराध बढ़ गये हैं ।
संसार में शान्ति हो इसके लिए हमें सच्चा धार्मिक बनना होगा , सच्चाई , ईमानदारी , धैर्य , संवेदना , कर्तव्य पालन आदि सद्गुणों को ही ईश्वर की पूजा समझकर अपने आचरण में लायें । सद्गुणों को अपनाने से हमें ईश्वर को ढूंढने किसी धार्मिक स्थान नहीं जाना पड़ेगा , वह हमारे ह्रदय में ही जाग्रत हो जायेंगे ।
धर्म चाहे कोई भी हो , किसी भी धर्म में अनैतिक कार्यों को मान्यता नहीं दी गई है । आज संसार में अशांति इसी लिए है , लोग कर्मकांड करके , अपने धार्मिक पर्वों पर भक्ति भाव प्रदर्शित करके स्वयं को धार्मिक समझने लगते हैं लेकिन अपना आचरण नहीं सुधारते , अपनी ईर्ष्या, द्वेष , लालच , क्रोध , अहंकार जैसी दुष्प्रवृत्तियों को नियंत्रित नहीं करते इसलिए सबके धार्मिक होने के बावजूद भी संसार में इतना अपराध , हत्या , मार -काट है । गरीब किसी को लूटें तो एक बात समझ में आती है , अमीर, पढ़े - लिखे और धार्मिक कहे जाने वाले भ्रष्टाचार करके अपने ही देश की सम्पति को लूट रहे और गरीबों को लूटकर , उनका हक छीनकर अपनी तिजोरी भर रहे हैं ।
इसी कारण लोग तनाव व कुंठाग्रस्त हैं , अपराध बढ़ गये हैं ।
संसार में शान्ति हो इसके लिए हमें सच्चा धार्मिक बनना होगा , सच्चाई , ईमानदारी , धैर्य , संवेदना , कर्तव्य पालन आदि सद्गुणों को ही ईश्वर की पूजा समझकर अपने आचरण में लायें । सद्गुणों को अपनाने से हमें ईश्वर को ढूंढने किसी धार्मिक स्थान नहीं जाना पड़ेगा , वह हमारे ह्रदय में ही जाग्रत हो जायेंगे ।
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