युवाओं में ऊर्जा बहुत होती है लेकिन यदि उनके जीवन को सही दिशा न मिले तो वह ऊर्जा व्यर्थ हो जाती है । समस्या ये है कि इन युवाओं को सही दिशा दे कौन ? आज व्यक्ति इतना स्वार्थी और लालची हो गया है कि वह इन युवाओं को सही दिशा देने के बजाय उनकी इस ऊर्जा का प्रयोग अपने स्वार्थ के लिए करने लगा है ।
आये दिन हम सड़कों पर देखते हैं कि हजारों की संख्या युवक विभिन्न मुद्दों पर अपने नेताओं और धर्म व जाति के दिग्गजों के इशारे पर सड़कों पर चिल्लाते हैं , नारेबाजी करते हैं , फिर पुलिस के डंडे खाते हैं । इनमे से अधिकांश युवक बेरोजगार होते हैं , ये पढ़े - लिखे तो हैं लेकिन इनमे कोई विशेष योग्यता , कोई तकनीकी ज्ञान नहीं है , इसलिए इन्हें रोजगार मिलने की भी कोई उम्मीद नहीं है । ऐसी स्थिति में सड़कों पर चिल्लाना , नारेबाजी करना ही इनका रोजगार है ।
ऐसे युवक ही जो लम्बे समय तक अपने नेताओं के लिए चिल्लाते हैं , नारेबाजी करते हैं फिर भी उनके परिवार के पालन - पोषण की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं होती तो फिर इनके जीवन की दिशा गलत हो जाती है जो सारे समाज के लिए अशान्ति का कारण होती है ।
आये दिन हम सड़कों पर देखते हैं कि हजारों की संख्या युवक विभिन्न मुद्दों पर अपने नेताओं और धर्म व जाति के दिग्गजों के इशारे पर सड़कों पर चिल्लाते हैं , नारेबाजी करते हैं , फिर पुलिस के डंडे खाते हैं । इनमे से अधिकांश युवक बेरोजगार होते हैं , ये पढ़े - लिखे तो हैं लेकिन इनमे कोई विशेष योग्यता , कोई तकनीकी ज्ञान नहीं है , इसलिए इन्हें रोजगार मिलने की भी कोई उम्मीद नहीं है । ऐसी स्थिति में सड़कों पर चिल्लाना , नारेबाजी करना ही इनका रोजगार है ।
ऐसे युवक ही जो लम्बे समय तक अपने नेताओं के लिए चिल्लाते हैं , नारेबाजी करते हैं फिर भी उनके परिवार के पालन - पोषण की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं होती तो फिर इनके जीवन की दिशा गलत हो जाती है जो सारे समाज के लिए अशान्ति का कारण होती है ।
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