स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी लोग जाति व धर्म के नाम पर दंगा करते हैं । जब भारत में मुगलों का शासन था , फिर अंग्रेजों का राज रहा तब महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों के लिए सबने मुगलों व अंग्रेजों को दोष दिया और उनकी ऐसी ओछी हरकत पर देशभक्तों ने उन्हें सबक सिखाया । अब वर्तमान समय में जब हम आजाद हैं , ऐसे समय छोटी बालिकाओं , छात्राओं और महिलाओं के प्रति जो अमानवीय व नृशंस अपराध होते हैं उनके संबंध समाज में यह तथ्य स्पष्ट होना चाहिए ऐसे अपराध ------ हिन्दू , मुस्लिम , सिख , ईसाई ---- किस जाति और धर्म की महिलाओं के प्रति ज्यादा होते हैं । इसमें संलग्न अपराधियों को तो न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार जब भी सजा मिले , उसके पहले अपनी जाति व धर्म से प्रेम करने वाले , धर्म व जाति के नाम पर लड़ने वाले , उसके रक्षक --- अपनी जाति व धर्म की नारी की रक्षा करने को जागरूक हों ।
जब तक समाज में जागरूकता नहीं होगी ऐसे अपराधों के कारण प्रत्येक परिवार असुरक्षित , तनाव व कुंठाग्रस्त रहेगा ।
जब तक समाज में जागरूकता नहीं होगी ऐसे अपराधों के कारण प्रत्येक परिवार असुरक्षित , तनाव व कुंठाग्रस्त रहेगा ।
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