कोई भी संस्कृति तभी तक जीवित रह सकती है जब उस समाज के पुरुष ऊर्जावान हों , उनका चरित्र श्रेष्ठ हो और नारी स्वतंत्रता के साथ अपनी मर्यादा में हो । लेकिन आज नारी और पुरुष दोनों पर ही संकट के बादल है l आज समाज पर दुर्बुद्धि का प्रकोप है , हम संस्कृति के प्रतीकों की रक्षा और उनकी देख - रेख पर तो बहुत धन खर्च करते है किन्तु जीवित नारी - पुरुष , युवा पीढ़ी , छोटे बच्चे जो देश के कर्णधार हैं उनकी सुरक्षा , उनके चरित्र - गठन पर ध्यान नहीं देते ।
आक्रमण केवल तीर - तलवार , टैंक व बम से ही नहीं होते , किसी समाज का चरित्र हनन हो जाये तो वह वैसे ही हार जाता है । मनुष्य का मन चंचल होता है , मन में कामना, वासना बलवती होती है , उस पर से अश्लील चित्र , अश्लील फिल्मे , गन्दा साहित्य युवकों का तेज छीन लेते हैं , उनका ओज , तेज सब नष्ट होने लगता है । ऐसे में महिलाओं के प्रति अपराध हो या अन्य कोई अपराध हो उनमे उस अन्याय का सामना करने की हिम्मत नहीं होती ।
ऐसे वातावरण में मोबाइल आदि साधनों से बच्चों की मानसिकता भी प्रदूषित हो जाती है ----
पहले युद्ध मैदान में होते थे , महिलाएं घरों में सुरक्षित होती थीं लेकिन अब यह एक सपना हैं ,
अब युद्ध हो या दंगा , दुश्मन का आक्रमण चरित्र पर होता है ।
आज सद्बुद्धि की सबसे ज्यादा जरुरत है । समाज को जागरूक होना पड़ेगा , इस सत्य को समझना होगा कि अपना ही कीमती समय और अपनी तेजस्विता को नष्ट कर दूसरों को अमीर बना रहे हैं ।
आक्रमण केवल तीर - तलवार , टैंक व बम से ही नहीं होते , किसी समाज का चरित्र हनन हो जाये तो वह वैसे ही हार जाता है । मनुष्य का मन चंचल होता है , मन में कामना, वासना बलवती होती है , उस पर से अश्लील चित्र , अश्लील फिल्मे , गन्दा साहित्य युवकों का तेज छीन लेते हैं , उनका ओज , तेज सब नष्ट होने लगता है । ऐसे में महिलाओं के प्रति अपराध हो या अन्य कोई अपराध हो उनमे उस अन्याय का सामना करने की हिम्मत नहीं होती ।
ऐसे वातावरण में मोबाइल आदि साधनों से बच्चों की मानसिकता भी प्रदूषित हो जाती है ----
पहले युद्ध मैदान में होते थे , महिलाएं घरों में सुरक्षित होती थीं लेकिन अब यह एक सपना हैं ,
अब युद्ध हो या दंगा , दुश्मन का आक्रमण चरित्र पर होता है ।
आज सद्बुद्धि की सबसे ज्यादा जरुरत है । समाज को जागरूक होना पड़ेगा , इस सत्य को समझना होगा कि अपना ही कीमती समय और अपनी तेजस्विता को नष्ट कर दूसरों को अमीर बना रहे हैं ।
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