आज समाज में अशान्ति का सबसे बड़ा कारण यह है कि व्यक्ति को ईश्वर पर विश्वास नहीं
रहा । वह ईश्वर विश्वास के बजाय अपने पाले हुए ' गुंडों ' पर अधिक विश्वास करता है क्योंकि ये तथाकथित ' गुंडे ' उसे गलत ढंग से धन कमाने में मदद करते हैं ।
जब व्यक्ति मेहनत करके , सही या गलत किसी भी तरीके से धन कमा लेता है और समाज में धन या पद के बल पर प्रतिष्ठा अर्जित कर लेता है , तब उसे इन सब के खोने का भय सताने लगता है । यदि कमाई ईमानदारी की हो तो वह असीम नहीं होती और उसके खोने का डर भी नहीं होता किन्तु अनैतिक तरीके से जब कोई सम्पति व प्रतिष्ठा कमाता है तो उसकी सुरक्षा व समाज में अपना दबदबा बनाये रखने के लिए वह व्यक्ति कुछ खास किस्म के लोग जिन्हें
' गुंडा ' कहते हैं अपने साथ रखता है । साथ रहते - रहते ये व्यक्ति उसके विश्वासपात्र बन जाते हैं और धन कमाने में उसकी मदद करके अपना प्रतिशत ले कर वे भी अमीर हो जाते हैं ।
धन संपन्न हो जाने पर भी उनका स्वाभाव नहीं बदलता और धीरे - धीरे यही तथाकथित गुंडे जिस व्यक्ति ने उन्हें पाला, उसी के सम्मान पर , उसकी सम्पति पर अपना कब्जा करके उसके गले की हड्डी बन जाते हैं । अपनी ताकत और अपना दायरा बढ़ाकर ये सारे समाज के लिए नासूर बन जाते हैं । ऐसे लोगों की भरमार से ही समाज में अपराध व अशान्ति है ।
यदि व्यक्ति ईमानदारी और सच्चाई से जीवन व्यतीत करे तो कोई गुंडे पालने की जरुरत ही न पड़े और समाज में भी शान्ति व सुरक्षा रहे ।
रहा । वह ईश्वर विश्वास के बजाय अपने पाले हुए ' गुंडों ' पर अधिक विश्वास करता है क्योंकि ये तथाकथित ' गुंडे ' उसे गलत ढंग से धन कमाने में मदद करते हैं ।
जब व्यक्ति मेहनत करके , सही या गलत किसी भी तरीके से धन कमा लेता है और समाज में धन या पद के बल पर प्रतिष्ठा अर्जित कर लेता है , तब उसे इन सब के खोने का भय सताने लगता है । यदि कमाई ईमानदारी की हो तो वह असीम नहीं होती और उसके खोने का डर भी नहीं होता किन्तु अनैतिक तरीके से जब कोई सम्पति व प्रतिष्ठा कमाता है तो उसकी सुरक्षा व समाज में अपना दबदबा बनाये रखने के लिए वह व्यक्ति कुछ खास किस्म के लोग जिन्हें
' गुंडा ' कहते हैं अपने साथ रखता है । साथ रहते - रहते ये व्यक्ति उसके विश्वासपात्र बन जाते हैं और धन कमाने में उसकी मदद करके अपना प्रतिशत ले कर वे भी अमीर हो जाते हैं ।
धन संपन्न हो जाने पर भी उनका स्वाभाव नहीं बदलता और धीरे - धीरे यही तथाकथित गुंडे जिस व्यक्ति ने उन्हें पाला, उसी के सम्मान पर , उसकी सम्पति पर अपना कब्जा करके उसके गले की हड्डी बन जाते हैं । अपनी ताकत और अपना दायरा बढ़ाकर ये सारे समाज के लिए नासूर बन जाते हैं । ऐसे लोगों की भरमार से ही समाज में अपराध व अशान्ति है ।
यदि व्यक्ति ईमानदारी और सच्चाई से जीवन व्यतीत करे तो कोई गुंडे पालने की जरुरत ही न पड़े और समाज में भी शान्ति व सुरक्षा रहे ।
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