समाज में अपराध , अशान्ति का मूल कारण है ---- अनैतिक तरीके से धन कमाना | इस तरीके से धन कमाने में उसका परिवार , उसके मित्र , परिचित सभी उसमे जुड़े होते हैं । शराब , विभिन्न तरीके की नशीली वस्तुएं , गोमांस विक्रय , अश्लील चित्रों का प्रदर्शन आदि अनेक ऐसे अनैतिक कार्य हैं जिनमे बड़ी संख्या में लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहते हैं । व्यक्ति जैसा काम करता है वैसी ही उसकी मनोवृति हो जाती है , ऐसे लोगों की आने वाली पीढ़ियाँ भी अपराधिक मनोवृति की होती हैं ।
कोई भी धर्म , कोई भी संस्कृति तभी जीवित रह सकती है जब समाज का नैतिक पतन करने वाले व्यवसायों पर प्रतिबन्ध हो । इन व्यवसायों से राजस्व इतना प्राप्त नहीं होता जितना कि समाज में अपराध , अनैतिकता व अशान्ति होती है । ऐसे व्यवसायों की अधिकता के कारण ही लोगों का दोहरा व्यक्तित्व हो गया है । ऊपर ने सभ्रांत और सम्मानित व्यक्ति वास्तव में कैसा है , कैसे व्यवसायों से जुड़ा है इसे सामान्य व्यक्ति नहीं समझ पाता ।
अनेक लोग जो ईमानदारी से , शान्ति से जीवन जीना चाहते हैं , ऐसे लोगों की सच्चाई का ज्ञान न होने के कारण उनकी गिरफ्त में आ जाते हैं ।
प्रत्येक धर्म , प्रत्येक संस्कृति को इस धरती पर जीवित रहने का हक है, बुराइयों को दूर कर के ही शान्ति संभव है ।
कोई भी धर्म , कोई भी संस्कृति तभी जीवित रह सकती है जब समाज का नैतिक पतन करने वाले व्यवसायों पर प्रतिबन्ध हो । इन व्यवसायों से राजस्व इतना प्राप्त नहीं होता जितना कि समाज में अपराध , अनैतिकता व अशान्ति होती है । ऐसे व्यवसायों की अधिकता के कारण ही लोगों का दोहरा व्यक्तित्व हो गया है । ऊपर ने सभ्रांत और सम्मानित व्यक्ति वास्तव में कैसा है , कैसे व्यवसायों से जुड़ा है इसे सामान्य व्यक्ति नहीं समझ पाता ।
अनेक लोग जो ईमानदारी से , शान्ति से जीवन जीना चाहते हैं , ऐसे लोगों की सच्चाई का ज्ञान न होने के कारण उनकी गिरफ्त में आ जाते हैं ।
प्रत्येक धर्म , प्रत्येक संस्कृति को इस धरती पर जीवित रहने का हक है, बुराइयों को दूर कर के ही शान्ति संभव है ।
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