पर्यावरण प्रदूषण की बात सब करते हैं लेकिन यदि लोगों की मानसिकता प्रदूषित है तो समाज में शान्ति नहीं होगी । संसार में ऐसे अनेक देश हैं , अनेक ऐसे स्थान हैं जहाँ बहुत सफाई है , प्रदूषण नहीं है , सारी सुख - सुविधाएँ हैं , सड़कों पर कहीं कोई गंदगी नहीं है फिर भी वहां अपहरण , हत्याएं , लूट - पाट, अनेक अपराध होते हैं ।
अश्लील साहित्य , अश्लील फिल्में , निम्न स्तर के विज्ञापन , तस्वीरें आदि लोगों की मानसिकता को सबसे ज्यादा प्रदूषित करती हैं । यह सब बार - बार देखने से व्यक्ति कुंठाग्रस्त हो जाता है , उन्ही में मन रमने से वह कोई भी काम ढंग से नहीं कर पाता । उसकी कमजोरियां उस पर हावी होने लगती हैं और इस तरह चारित्रिक पतन शुरू हो जाता है । ऐसा व्यक्ति घर - बाहर कहीं भी चैन से नहीं रह पाता । ऐसी ही कुंठा व तनाव की वजह से विभिन्न अपराध होते हैं ।
संसार में अनेक धर्म हैं और विभिन्न धर्मों के अनेक महान धर्म गुरु हुए हैं लेकिन किसी ने भी चारित्रिक पतन का समर्थन नहीं किया ।
श्रेष्ठ चरित्र होना , संयम , नैतिकता आदि किसी एक संस्कृति के ही गुण नहीं हैं , प्रत्येक वह धर्म , वह संस्कृति जो स्वयं को जीवित रखना चाहती है , संसार की सिरमौर बनना चाहती है उसे अपने धर्म , अपने समाज के लोगों के चरित्र - गठन का प्रयास करना होगा ।
आज सारे संसार को जागने की जरुरत है , जब लोगों का चरित्र अच्छा होगा , वे कुंठाग्रस्त नहीं होंगे तो समाज में शान्ति होगी ।
अश्लील साहित्य , अश्लील फिल्में , निम्न स्तर के विज्ञापन , तस्वीरें आदि लोगों की मानसिकता को सबसे ज्यादा प्रदूषित करती हैं । यह सब बार - बार देखने से व्यक्ति कुंठाग्रस्त हो जाता है , उन्ही में मन रमने से वह कोई भी काम ढंग से नहीं कर पाता । उसकी कमजोरियां उस पर हावी होने लगती हैं और इस तरह चारित्रिक पतन शुरू हो जाता है । ऐसा व्यक्ति घर - बाहर कहीं भी चैन से नहीं रह पाता । ऐसी ही कुंठा व तनाव की वजह से विभिन्न अपराध होते हैं ।
संसार में अनेक धर्म हैं और विभिन्न धर्मों के अनेक महान धर्म गुरु हुए हैं लेकिन किसी ने भी चारित्रिक पतन का समर्थन नहीं किया ।
श्रेष्ठ चरित्र होना , संयम , नैतिकता आदि किसी एक संस्कृति के ही गुण नहीं हैं , प्रत्येक वह धर्म , वह संस्कृति जो स्वयं को जीवित रखना चाहती है , संसार की सिरमौर बनना चाहती है उसे अपने धर्म , अपने समाज के लोगों के चरित्र - गठन का प्रयास करना होगा ।
आज सारे संसार को जागने की जरुरत है , जब लोगों का चरित्र अच्छा होगा , वे कुंठाग्रस्त नहीं होंगे तो समाज में शान्ति होगी ।
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