थोड़ी सी भी ताकत किसी के पास हो चाहे वह धन की हो या पद की हो या किसी की चापलूसी से प्राप्त की गई हो , ऐसी ताकत पाने के बाद व्यक्ति चाहता है कि सब उसकी हुकूमत में रहे । छोटी - छोटी संस्थाओं में भी यही स्थिति देखने को मिलती है । उनकी हुकूमत को मानो , उनके सही - गलत कार्यों में सहयोग करो अन्यथा वे चैन से जीने नहीं देंगे । बिच्छू की तरह हमेशा डंक मारना ---- अपनी ताकत के बल पर हक छीनेंगे, अपमानित करेंगे , नीचा दिखायेंगे , खिल्ली करेंगे , हंसी उड़ायेंगे , । अनेक लोग इच्छा से या मज़बूरी से उनकी हुकूमत स्वीकार कर लेते हैं लेकिन ऐसे लोग भी चैन से नहीं हैं । अपने अस्तित्व को , अपने स्वाभिमान को खो देने के बाद धीरे - धीरे पतन के गर्त में गिरते जाते हैं ।
उनके इस अहंकार के पीछे वास्तव में किसकी ताकत है यह जानना बहुत कठिन है क्योंकि अब लोग शराफत का मुखौटा लगाकर रहते हैं ।
आज के समय की सबसे बड़ी जरुरत ---- सद्बुद्धि है । किसी संस्था से या धन खर्च कर के यह नहीं मिलती । सद्बुद्धि तो केवल ईश्वर की कृपा से मिलती है और ईश्वर की कृपा उन्ही को मिलती है जो सन्मार्ग पर चलते हैं , निष्काम कर्म करते हैं । मान - अपमान , हानि - लाभ , सुख - दुःख सब सहन करते हुए अपने कर्तव्य का ईमानदारी से पालन करते हैं । यही है सफलता का
मार्ग । आज का समय कर्मयोगी बनने का है ।
उनके इस अहंकार के पीछे वास्तव में किसकी ताकत है यह जानना बहुत कठिन है क्योंकि अब लोग शराफत का मुखौटा लगाकर रहते हैं ।
आज के समय की सबसे बड़ी जरुरत ---- सद्बुद्धि है । किसी संस्था से या धन खर्च कर के यह नहीं मिलती । सद्बुद्धि तो केवल ईश्वर की कृपा से मिलती है और ईश्वर की कृपा उन्ही को मिलती है जो सन्मार्ग पर चलते हैं , निष्काम कर्म करते हैं । मान - अपमान , हानि - लाभ , सुख - दुःख सब सहन करते हुए अपने कर्तव्य का ईमानदारी से पालन करते हैं । यही है सफलता का
मार्ग । आज का समय कर्मयोगी बनने का है ।
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