आज के इस वैज्ञानिक युग में भी लोगों में जागरूकता की कमी है | मनुष्य की चेतना आज मूर्छित हो चुकी है । लोग चुपचाप अत्याचार , अन्याय सहते रहते हैं , इससे अत्याचारियों के हौसले और बुलंद होते जाते हैं । विदेशी आक्रमणकारी आये , फिर अंग्रेज आये जनता उनके अत्याचार सहती रही । आज यदि अपनी जन्म भूमि में ही व्यक्ति पीड़ित और शोषित है तो यह एक प्रश्न है कि इसका दोष किसे दिया जाये ?
यदि अत्याचार सहन करने वाले लोग मिल जाएँ तो अत्याचारी को भी उन्हें सताने में आनन्द आने लगता है , यह भी एक नशा है ।
अत्याचारी मन से कमजोर होता है , यदि उसके विरुद्ध एक मजबूत संगठन खड़ा हो जाये तो अत्याचारी को मैदान छोड़कर भागने में देर नहीं लगती ।
यदि अत्याचार सहन करने वाले लोग मिल जाएँ तो अत्याचारी को भी उन्हें सताने में आनन्द आने लगता है , यह भी एक नशा है ।
अत्याचारी मन से कमजोर होता है , यदि उसके विरुद्ध एक मजबूत संगठन खड़ा हो जाये तो अत्याचारी को मैदान छोड़कर भागने में देर नहीं लगती ।
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