एक बुरी आदत से ही व्यक्ति का पतन होने लगता है । ' स्वार्थ ' एक ऐसा दुर्गुण है जिससे व्यक्ति का नैतिक पतन होने लगता है । जैसे गेंद है , वह सीढ़ी - दर - सीढ़ी नीचे गिरती जाती है इसी तरह जब व्यक्ति पर स्वार्थ हावी हो जाता है तो वह अपना हित पूरा करने के लिए कोई
कोर - कसर नहीं छोड़ता है । बुराई बड़ी तेजी से फैलती है । आज व्यक्ति कर्मकांड तो बहुत करता है किन्तु व्यक्ति की चेतना सुप्त है , संवेदना नहीं है इसी कारण आज हर व्यक्ति तनाव में है ।
कोर - कसर नहीं छोड़ता है । बुराई बड़ी तेजी से फैलती है । आज व्यक्ति कर्मकांड तो बहुत करता है किन्तु व्यक्ति की चेतना सुप्त है , संवेदना नहीं है इसी कारण आज हर व्यक्ति तनाव में है ।
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