मन को शांत स्थिति में रखने के लिए जरुरी है कि प्रशंसा , निंदा आदि के प्रति तटस्थ रहें ।
आज के समय में नि:स्वार्थ भाव के लोग बहुत कम हैं , यदि कोई बहुत प्रशंसा करता है तो चौकन्ने होने की जरुरत है । प्रशंसा करने वाले का मानसिक स्तर क्या है , समाज में उसकी कैसी छवि है , उसकी क्या कमजोरियां हैं । इन सब बातों का हिसाब लगाकर समझा जा सकता है कि इतनी प्रशंसा के पीछे उसका क्या स्वार्थ है ? वह अपनी कौन सी इच्छा को पूरा करने के लिए इतनी तारीफ कर रहा है ।
यदि बेवजह की मुसीबतों से बचना है तो प्रशंसा से अति प्रसन्न न हों , संतुलित रहें , विवेक से काम लें ।
आज के समय में नि:स्वार्थ भाव के लोग बहुत कम हैं , यदि कोई बहुत प्रशंसा करता है तो चौकन्ने होने की जरुरत है । प्रशंसा करने वाले का मानसिक स्तर क्या है , समाज में उसकी कैसी छवि है , उसकी क्या कमजोरियां हैं । इन सब बातों का हिसाब लगाकर समझा जा सकता है कि इतनी प्रशंसा के पीछे उसका क्या स्वार्थ है ? वह अपनी कौन सी इच्छा को पूरा करने के लिए इतनी तारीफ कर रहा है ।
यदि बेवजह की मुसीबतों से बचना है तो प्रशंसा से अति प्रसन्न न हों , संतुलित रहें , विवेक से काम लें ।
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