मशीनी युग में रहने के कारण मनुष्य का मन भी भावनाशून्य हो गया है l आज के समय लोग कर्मफल पर विश्वास नहीं करते इस कारण संसार में अन्याय और अत्याचार अपनी चरम सीमा पर है । अत्याचार , उत्पीड़न सहन करने वालों में मनुष्य , पशु - पक्षी , प्रकृति सभी सम्मिलित हैं ।
इस पृथ्वी पर जितना निर्दोष प्राणियों का खून बहेगा , गरीबों और मजबूरों का शोषण होगा , उतना ही वातावरण अशांत होगा , प्राकृतिक आपदाएं होंगी ।
अत्याचार और अन्याय इस धरती पर शुरू से रहा है और लोगों ने इसका परिणाम भी भोगा लेकिन दुर्बुद्धि के कारण कोई इस सत्य को स्वीकार नहीं करता ।
महाभारत में एक कथा है ---- जब कौरव - पांडव जुआ खेल रहे थे तब किसी कारण से दुर्योधन के मामा शकुनि को क्रोध आ गया और उन्होंने पासे जोर से युधिष्ठिर की ओर फेंके जिससे युधिष्ठिर की नाक से खून बहने लगा । द्रोपदी वहीँ थीं , वे तुरन्त एक प्याला ले आईं l युधिष्ठिर की नाक से गिरते हुए खून को प्याले में ले लिया । जब उनसे इसका कारण पूछा गया तो द्रोपदी ने कहा ---- ' युधिष्ठिर के खून की जितनी बूंदे पृथ्वी पर गिरेंगी उतने वर्ष तक पृथ्वी पर अकाल पड़ेगा , प्रजा कष्ट से त्राहि - त्राहि करेगी । '
निर्दोष प्राणियों को चाहे वह मनुष्य हों या पशु - पक्षी --- को सताने से पूरे वातावरण में मनहूसियत सी छा जाती है । धन - वैभव सब होते हुए भी लोग अशांत व तनाव में रहते हैं , ऐसे दुःख जीवन में आ जाते हैं जिनकी क्षति पूर्ति नहीं हो पाती ।
इस पृथ्वी पर जितना निर्दोष प्राणियों का खून बहेगा , गरीबों और मजबूरों का शोषण होगा , उतना ही वातावरण अशांत होगा , प्राकृतिक आपदाएं होंगी ।
अत्याचार और अन्याय इस धरती पर शुरू से रहा है और लोगों ने इसका परिणाम भी भोगा लेकिन दुर्बुद्धि के कारण कोई इस सत्य को स्वीकार नहीं करता ।
महाभारत में एक कथा है ---- जब कौरव - पांडव जुआ खेल रहे थे तब किसी कारण से दुर्योधन के मामा शकुनि को क्रोध आ गया और उन्होंने पासे जोर से युधिष्ठिर की ओर फेंके जिससे युधिष्ठिर की नाक से खून बहने लगा । द्रोपदी वहीँ थीं , वे तुरन्त एक प्याला ले आईं l युधिष्ठिर की नाक से गिरते हुए खून को प्याले में ले लिया । जब उनसे इसका कारण पूछा गया तो द्रोपदी ने कहा ---- ' युधिष्ठिर के खून की जितनी बूंदे पृथ्वी पर गिरेंगी उतने वर्ष तक पृथ्वी पर अकाल पड़ेगा , प्रजा कष्ट से त्राहि - त्राहि करेगी । '
निर्दोष प्राणियों को चाहे वह मनुष्य हों या पशु - पक्षी --- को सताने से पूरे वातावरण में मनहूसियत सी छा जाती है । धन - वैभव सब होते हुए भी लोग अशांत व तनाव में रहते हैं , ऐसे दुःख जीवन में आ जाते हैं जिनकी क्षति पूर्ति नहीं हो पाती ।
No comments:
Post a Comment