अहंकार मनुष्य का एक दुर्गुण है । अहंकारी व्यक्ति अपने से कमजोर का शोषण करता है , इस शोषण के अनेक रूप होते हैं ---- धन , पद , सौन्दर्य के मद में लोग गरीबों की , अपने से कमजोर की हंसी उड़ाते हैं , उनका तिरस्कार करते हैं । जिस तरह भी संभव हो वो उनका शोषण करते हैं जिससे वो आगे न बढ़ पाये । जिसको उन्होंने दबा - कुचला देखा , उसे वे आगे बढ़ते हुए , अपने समकक्ष नहीं देख सकते । ऐसे लोग कमजोर को इतना दबाते हैं कि वो कभी सिर न उठा सके ।
इस तरह के व्यवहार की प्रतिक्रिया होती है , कोई संघर्ष कर के आगे बढ़ जाता है तो किसी के मन में विद्रोह की , बदले की भावना पैदा हो जाती है । यह बदले की आग भूख व गरीबी से और बढ़ जाती है । ऐसे ही लोग अपराध , लूटपाट, चोरी , डकैती की और बढ़ जाते हैं , अपना क्षेत्र बढ़ाते जाते हैं और सम्पूर्ण समाज के लिए खतरा बन जाते हैं । फिर समाज के भी ऐसे लोग जो अनैतिक और गैर कानूनी ढ़ंग से पैसा कमाते हैं ऐसे अपराधी व्यक्तियों को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करते हैं । इससे पूरे समाज में आशांति और अराजकता की स्थिति उत्पन्न होने लगती हैं ।
इस तरह के व्यवहार की प्रतिक्रिया होती है , कोई संघर्ष कर के आगे बढ़ जाता है तो किसी के मन में विद्रोह की , बदले की भावना पैदा हो जाती है । यह बदले की आग भूख व गरीबी से और बढ़ जाती है । ऐसे ही लोग अपराध , लूटपाट, चोरी , डकैती की और बढ़ जाते हैं , अपना क्षेत्र बढ़ाते जाते हैं और सम्पूर्ण समाज के लिए खतरा बन जाते हैं । फिर समाज के भी ऐसे लोग जो अनैतिक और गैर कानूनी ढ़ंग से पैसा कमाते हैं ऐसे अपराधी व्यक्तियों को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करते हैं । इससे पूरे समाज में आशांति और अराजकता की स्थिति उत्पन्न होने लगती हैं ।
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