लोग धन को बहुत महत्व देते हैं लेकिन उस धन से अच्छा स्वास्थ्य , चिर यौवन , तनाव मुक्त जीवन क्यों नहीं खरीद पाते ?,, धन - पद में एक नशा होता है , इस कारण व्यक्ति अपना भला - बुरा नहीं सोच पाता । हम ईश्वर से प्रार्थना करें कि हमारा विवेक जाग्रत हो , हम में सही - गलत को समझने की क्षमता हो । तभी हम सही निर्णय ले सकते हैं ।
रामचरित मानस में लिखा है ---- रावण महान विद्वान् था , बहुत शक्तिशाली था लेकिन वह अहंकारी था , उसने परस्त्री का अपहरण किया था । उसके सगे भाई विभीषण ने उसे लाखों बार समझाया लेकिन अपने धन व पद के अहंकार में विभीषण को अपमानित किया । विभीषण का विवेक जाग्रत था । दुष्ट व्यक्ति की सोने की लंका में रहने के बजाय उसने राम के साथ वन में रहना उचित समझा । जिसने गलत राह पर चलने वाले का साथ दिया वे सब नष्ट हो गए और विभीषण जो भगवन राम की शरण में आया उसका राज्याभिषेक हुआ ।
जीवन की सफलता हमारे विवेकपूर्ण निर्णय पर निर्भर है । धन - वैभव जीवन के लिए जरुरी है । सुख - सुविधाओं भरा जीवन जीते हुए भी यदि हम निष्काम कर्म करते हैं , सन्मार्ग पर चलते हैं , किसी को कष्ट नहीं देते तो हमारी आत्मा ही हमारा पथ - प्रदर्शित करती है । ,
रामचरित मानस में लिखा है ---- रावण महान विद्वान् था , बहुत शक्तिशाली था लेकिन वह अहंकारी था , उसने परस्त्री का अपहरण किया था । उसके सगे भाई विभीषण ने उसे लाखों बार समझाया लेकिन अपने धन व पद के अहंकार में विभीषण को अपमानित किया । विभीषण का विवेक जाग्रत था । दुष्ट व्यक्ति की सोने की लंका में रहने के बजाय उसने राम के साथ वन में रहना उचित समझा । जिसने गलत राह पर चलने वाले का साथ दिया वे सब नष्ट हो गए और विभीषण जो भगवन राम की शरण में आया उसका राज्याभिषेक हुआ ।
जीवन की सफलता हमारे विवेकपूर्ण निर्णय पर निर्भर है । धन - वैभव जीवन के लिए जरुरी है । सुख - सुविधाओं भरा जीवन जीते हुए भी यदि हम निष्काम कर्म करते हैं , सन्मार्ग पर चलते हैं , किसी को कष्ट नहीं देते तो हमारी आत्मा ही हमारा पथ - प्रदर्शित करती है । ,
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