मनुष्यों में विशेष रूप से युवा वर्ग में बहुत उर्जा होती है | यदि इस उर्जा को सही दिशा मिल जाये तो यह उर्जा सम्पूर्ण समाज और राष्ट्र के हित में बहुत उपयोगी सिद्ध होती है लेकिन यही उर्जा यदि दिशा भटक जाये तो किसी भी समाज और राष्ट्र के अस्तित्व के लिए बहुत घातक होती है । बेरोजगारी की समस्या मुख्य रूप से मध्यम आय वर्ग और निम्न आय वर्ग के सामने होती है । इस वर्ग के माता - पिता अपने शौक , अपने खर्च में कटौती कर के , बहुत कंजूसी से जीवन व्यतीत करते हुए अपने बच्चों को पढ़ाते - लिखाते हैं । उनका सपना होता है कि बेटा पढ़ - लिख कर नौकरी करेगा तो आर्थिक स्थिति में सुधार होगा । कई लोग बड़े कर्ज लेकर बच्चों को पढ़ाते हैं । इसके बाद जब नौकरी नहीं मिलती या लगी हुई नौकरी किसी वजह से छूट जाती है तो परिवार के सारे सपने टूट जाते हैं ।
यह स्थिति बड़ी दयनीय होती है जब बेटा दिन भर रोजगार के लिए भटक कर शाम को घर वापस आये । माता - पिता की आँखें पूछती हैं --- क्या हुआ ? नौकरी मिली ? लेकिन निराशा । माता - पिता दिन - प्रति - दिन बूढ़े होते जाते हैं , और बेटा आत्म निर्भर नहीं है । इससे परिवार में निराशा का वातावरण हो जाता है । ऐसी स्थिति में ही युवकों के दिशा भटकने की संभावना होती है । सारे मानवीय मूल्य , सारी नैतिकता एक ओर धरी रह जाती है । समाज का नैतिक पतन होने लगता है , अपराध बढ़ जाते हैं ।
यदि समाज में शान्ति चाहिए तो उर्जा का सही दिशा में उपयोग बहुत जरुरी है ।
यह स्थिति बड़ी दयनीय होती है जब बेटा दिन भर रोजगार के लिए भटक कर शाम को घर वापस आये । माता - पिता की आँखें पूछती हैं --- क्या हुआ ? नौकरी मिली ? लेकिन निराशा । माता - पिता दिन - प्रति - दिन बूढ़े होते जाते हैं , और बेटा आत्म निर्भर नहीं है । इससे परिवार में निराशा का वातावरण हो जाता है । ऐसी स्थिति में ही युवकों के दिशा भटकने की संभावना होती है । सारे मानवीय मूल्य , सारी नैतिकता एक ओर धरी रह जाती है । समाज का नैतिक पतन होने लगता है , अपराध बढ़ जाते हैं ।
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