मनुष्य के दुर्गुण ही उसकी कमजोरी , उसकी पराधीनता के कारण हैं । धन , सम्मान , पद का लालच , जीवन की सुरक्षा , काम वासना आदि मनुष्य की अनेक कमजोरियां हैं । जो अपराध प्रवृति के लोग हैं वे लोगों की इन्ही कमजोरियों का फायदा उठा कर उन्हें ब्लैक मेल करते हैं । मनुष्य स्वयं भी अपनी इन कमजोरियों के कारण दबा हुआ और भयभीत रहता है । जिन लोगों की वजह से उसे धन , पद आदि मिलता है , अपनी कमजोरियों को पोषण मिलता है , उनके गलत कार्यों की भी वे प्रशंसा करते हैं । इसी कारण समाज में अपराध , अन्याय बढ़ता जाता है । प्रत्येक व्यक्ति सोचता है कि हमारा स्वार्थ पूरा हो रहा है , हमें क्या लेना - देना । इसी से समाज में अशांति , अव्यवस्था रहती है ।
जिस समाज के बुद्धिजीवी जागरूक हों , ईमानदार हों , साधु - संत आदि समाज के प्रति अपने दायित्व को समझें तभी शान्ति संभव है ।
जिस समाज के बुद्धिजीवी जागरूक हों , ईमानदार हों , साधु - संत आदि समाज के प्रति अपने दायित्व को समझें तभी शान्ति संभव है ।
No comments:
Post a Comment