ईर्ष्या और अहंकार में व्यक्ति अपने जीवन का बहुमूल्य समय बर्बाद करता है । अपने अहंकार की तृप्ति के लिए दूसरे के विरुद्ध षड्यंत्र रचना , उनका हक छीनना, विभिन्न तरीके से परेशान करना , इन्ही नकारात्मक कार्यों में ऐसे व्यक्ति उलझ कर रह जाते हैं । समाज में शान्ति के लिए सकारात्मक कार्यों का होना जरुरी है । सकारात्मक कार्यों में व्यस्त रहने से ही बुद्धि संतुलित होती है और वह व्यर्थ के कार्यों में अपनी उर्जा नष्ट नहीं करता है ।
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