धन में एक ऐसा आकर्षण है जो कभी कम नहीं होता । कोई कितना भी अमीर हो जाये लेकिन धन कमाने के गलत तरीके नहीं छोड़ता । कला , सौन्दर्य सब बाजार हो गया । इस माध्यम से कितना पैसा कमाया जाये , कितनी विलासिता से रहा जाये यही प्रमुख हो गया है ।
धन कमाना भी जरुरी है लेकिन ऐसे तरीके जैसे नशा , मांसाहार , फिल्म , साहित्य में अश्लीलता --- आदि धन कमाने के ऐसे तरीके हैं जिनसे सारे समाज में मानसिक प्रदूषण फैलता है । लोगों की बुद्धि स्थिर नहीं रहती , कोई सकारात्मक कार्य करने के बारे में लोग सोच नहीं पाते ।
सम्पूर्ण समाज जब प्रदूषित होता है तो उसमे ऐसा प्रदूषण फैलाने वालों का परिवार और आगे आने वाली पीढ़ियाँ भी इस प्रदूषण की चपेट में आती हैं ।
यही दुर्बुद्धि है ---- मनुष्य अपने हाथों से अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए जहर के बीज बो कर जाता है । धन का तो ढेर होता है लेकिन उसका सदुपयोग करना नहीं आता l यही पतन का कारण है । ।
धन कमाना भी जरुरी है लेकिन ऐसे तरीके जैसे नशा , मांसाहार , फिल्म , साहित्य में अश्लीलता --- आदि धन कमाने के ऐसे तरीके हैं जिनसे सारे समाज में मानसिक प्रदूषण फैलता है । लोगों की बुद्धि स्थिर नहीं रहती , कोई सकारात्मक कार्य करने के बारे में लोग सोच नहीं पाते ।
सम्पूर्ण समाज जब प्रदूषित होता है तो उसमे ऐसा प्रदूषण फैलाने वालों का परिवार और आगे आने वाली पीढ़ियाँ भी इस प्रदूषण की चपेट में आती हैं ।
यही दुर्बुद्धि है ---- मनुष्य अपने हाथों से अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए जहर के बीज बो कर जाता है । धन का तो ढेर होता है लेकिन उसका सदुपयोग करना नहीं आता l यही पतन का कारण है । ।
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