धन का लालच और लोभ का भूत लोगों के सिर पर सवार है । इस कारण लोग अपने दिमाग से काम नहीं लेते । जिस व्यक्ति के माध्यम से उन्हें धन और विभिन्न सुविधाएँ मिल जायें उसकी प्रत्येक बात चाहे वह सही हो या गलत उसे मानेंगे ।
अपना विवेक , अपनी बुद्धि से काम न लेने पर मनुष्य का अस्तित्व एक कठपुतली जैसा , एक चाबी के खिलौने जैसा हो जाता है । वह स्वयं नहीं जानता कि इसकी डोर , इसकी चाबी किसके हाथ में है । छोटी - मोटी सुविधाओं और तत्काल लाभ के लालच में मनुष्य अपने अस्तित्व को खो देता है । यह खेल ' लो और दो ' ( GIVE & TAKE ) का है । जब जिसका स्वार्थ पूरा हो गया तो दूध की मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया जाता है ।
इस तरह के जीवन से मनुष्य तनाव में, अशान्ति में जीता है । ऐसे लोगों की अधिकता है , जिसका अपना मन अशांत हो वह अपने चारों ओर भी अशान्ति फैलता है ।
अपना विवेक , अपनी बुद्धि से काम न लेने पर मनुष्य का अस्तित्व एक कठपुतली जैसा , एक चाबी के खिलौने जैसा हो जाता है । वह स्वयं नहीं जानता कि इसकी डोर , इसकी चाबी किसके हाथ में है । छोटी - मोटी सुविधाओं और तत्काल लाभ के लालच में मनुष्य अपने अस्तित्व को खो देता है । यह खेल ' लो और दो ' ( GIVE & TAKE ) का है । जब जिसका स्वार्थ पूरा हो गया तो दूध की मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया जाता है ।
इस तरह के जीवन से मनुष्य तनाव में, अशान्ति में जीता है । ऐसे लोगों की अधिकता है , जिसका अपना मन अशांत हो वह अपने चारों ओर भी अशान्ति फैलता है ।
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