संसार में जितने लोग हैं उतनी ही समस्याएं हैं और ये समस्याएं मुख्य रूप से मनुष्य के काम , क्रोध , लोभ , मोह और अहंकार से ही उत्पन्न होती है और इन्ही की वजह से अनेक अपराध होते हैं , इसके मूल में मनुष्य की विकृत मानसिकता होती है , इसका सम्बन्ध किसी जाति, धर्म , वर्ग और देश - विदेश से नहीं होता जैसे छोटे - छोटे बच्चों का अपहरण , बच्चियों के प्रति अपराध , हत्याएं ,बालिका भ्रूण हत्या , बलात्कार , भ्रष्टाचार , देश के साधनों की चोरी , गौ - हत्या , नशे का व्यापार आदि अनेक ऐसे अपराध हैं जिनके लिए कोई विदेशी उत्तरदायी नहीं है , देश के लोग ही ऐसे जघन्य अपराध करते हैं और समाज में घुल - मिलकर रहते हैं ।
ऐसी अपराध प्रवृति के लोगों को प्रकृति से दंड भी मिले जैसे बीमार हो जाएँ , कोई बड़ी तकलीफ हो जाये तो स्वस्थ होने पर वे सुधारते नहीं , फिर से अपराधिक गतिविधियों में जुट जाते हैं , किसी वजह से उनके धन का बहुत नुकसान हो जाये तो भी उन्हें समझ नहीं आती , मौका मिलते ही फिर तेजी से गलत तरीके से धन कमाना शुरू कर देते हैं , जितना घाटा हुआ, भ्रष्ट तरीकों से उससे दुगुना कमाते हैं ।
यदि लोगों के विचार श्रेष्ठ होंगे , लोग चरित्रवान होंगे तो विभिन्न अपराधिक गतिविधियाँ स्वत: ही कम हो जायेंगी । आज की सबसे बड़ी जरुरत है कि बच्चे से लेकर युवा , प्रौढ़ , वृद्ध सभी के चरित्र निर्माण के लिए बड़े स्तर पर प्रयास हों । जब लोगों में ईमानदारी , कर्तव्य पालन , संवेदना आदि सद्गुण होंगे , चरित्र श्रेष्ठ होगा तभी संसार में शान्ति होगी ।
ऐसी अपराध प्रवृति के लोगों को प्रकृति से दंड भी मिले जैसे बीमार हो जाएँ , कोई बड़ी तकलीफ हो जाये तो स्वस्थ होने पर वे सुधारते नहीं , फिर से अपराधिक गतिविधियों में जुट जाते हैं , किसी वजह से उनके धन का बहुत नुकसान हो जाये तो भी उन्हें समझ नहीं आती , मौका मिलते ही फिर तेजी से गलत तरीके से धन कमाना शुरू कर देते हैं , जितना घाटा हुआ, भ्रष्ट तरीकों से उससे दुगुना कमाते हैं ।
यदि लोगों के विचार श्रेष्ठ होंगे , लोग चरित्रवान होंगे तो विभिन्न अपराधिक गतिविधियाँ स्वत: ही कम हो जायेंगी । आज की सबसे बड़ी जरुरत है कि बच्चे से लेकर युवा , प्रौढ़ , वृद्ध सभी के चरित्र निर्माण के लिए बड़े स्तर पर प्रयास हों । जब लोगों में ईमानदारी , कर्तव्य पालन , संवेदना आदि सद्गुण होंगे , चरित्र श्रेष्ठ होगा तभी संसार में शान्ति होगी ।
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